Sheikhpura District शेखपुरा जिला

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Sheikhpura District शेखपुरा जिला

शेखपुरा, बिहार के 38 जिलों में से एक, मुंगेर डिवीजन का हिस्सा है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत के लिए जाना जाता है। यह जिला 31 जुलाई 1994 को मुंगेर जिले से अलग होकर अस्तित्व में आया। वर्तमान में यह 689 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है और यहाँ की जनसंख्या 636,342 (2011 की जनगणना के अनुसार) है।

जिले का परिचय

  • क्षेत्रफल: 689 वर्ग किलोमीटर
  • मुख्यालय: शेखपुरा
  • जनसंख्या: 636,342
  • साक्षरता दर: 65.96%
  • लिंगानुपात: 926
  • मुख्य भाषाएँ: मगही, हिंदी
  • धर्म: हिंदू धर्म (93.68%)
  • मुख्य व्यवसाय: कृषि और खनन

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

प्राचीन इतिहास

शेखपुरा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, यह क्षेत्र दानव हिडिम्बा का निवास स्थान था, जिनकी शादी पांडव भीम से हुई थी और उनके पुत्र घटोत्कच का जन्म यहीं हुआ था।

मध्यकालीन इतिहास

मध्यकाल में यह क्षेत्र पल्लवों के शासन के अधीन था। प्रसिद्ध अफगान शासक शेरशाह सूरी ने यहाँ 'दल कुआं' का निर्माण करवाया। मुगल काल के दौरान शेखपुरा को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र का दर्जा मिला था।

आधुनिक इतिहास

ब्रिटिश शासनकाल में इसे 'बिग कोटवाली' का दर्जा मिला और आजादी के बाद इसे ब्लॉक का दर्जा दिया गया। 31 जुलाई 1994 को, शेखपुरा को एक स्वतंत्र जिले का दर्जा प्रदान किया गया।

शिक्षा

शेखपुरा जिले में कई सरकारी और निजी शिक्षण संस्थान हैं। एस.के.आर. कॉलेज बरबीघा जिले में शिक्षा का प्रमुख केंद्र है और यहाँ का स्टेडियम खेल गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है।

राजनीतिक परिदृश्य

  • लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र: जमुई लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
  • विधानसभा क्षेत्र: शेखपुरा और बरबीघा।

पर्यटन स्थल

शेखपुरा जिले में कई आकर्षक पर्यटन स्थल हैं जो इस क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं:

  1. दाल कुआं: शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित प्राचीन कुआं।
  2. गिरिहंडा पहाड़ी: हिडिम्बा और भीम के पुत्र घटोत्कच से जुड़ी पहाड़ी।
  3. विष्णुधाम मंदिर: भगवान विष्णु को समर्पित प्राचीन मंदिर।
  4. महुआ गांव: मुगल काल के इतिहास से जुड़ा हुआ गाँव।

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी

शेखपुरा बिहार के सबसे कम आबादी वाले जिलों में से एक है और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पहचाने गए 250 सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से भी एक है। यहाँ की परिवहन प्रणाली सुव्यवस्थित है और जिले का मुख्यालय गया-कीउल रेल लाइन पर स्थित है।

ध्यान दें: यह जानकारी 2023 तक की उपलब्ध जानकारी पर आधारित है, कुछ आंकड़े समय के साथ बदल सकते हैं।

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