Sheikhpura 31 July 1994 को मुंगेर जिला से अलग होकर अस्तित्व में आया था। तत्कालीन विधायक Rajo Singh के प्रयास से तत्कालीन मुख्यमंत्री Lalu Prasad Yadav ने इसे जिले का दर्जा दिया था। इसके साथ Barbigha को अनुमंडल बनाने की भी घोषणा की गई। लेकिन विभिन्न राजनीतिज्ञ कारणों से Barbigha को अनुमंडल तो नहीं बनाया जा सका। लेकिन 31 July 1994 को ही Barbigha के कुछ हिस्से को काटकर Shekhopursarai के नाम से अलग प्रखंड अवश्य ही बना दिया गया। इस जिले में मात्र 6 प्रखंड Sheikhpura, Barbigha, Ariari, Chewda, Ghat Kosumbha एवं Shekhopursarai है। जबकि अनुमंडल भी Sheikhpura अबतक सिर्फ Sheikhpura ही है। इस जिले में मात्र दो ही विधानसभा क्षेत्र Barbigha और Sheikhpura है। जबकि दोनों का लोकसभा क्षेत्र अलग-अलग है ।
Barbigha विधानसभा क्षेत्र नवादा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। जबकि Sheikhpura जमुई लोकसभा क्षेत्र में पड़ता है। जिससे दोनों विधनसभा के अलग-अलग सांसद हैं।
शेखपुरा का इतिहास History Of Sheikhpura
Sheikhpura District के इतिहास के संबंध में कहा जाता है कि महाभारत काल में इसके पूर्वी खंड पर स्थित एक पहाड़ी पर हिंड़ा नामक राक्षसी की बेटी हिडिंबा रहती थी। उन्होंने पांडु के पुत्र भीम से विवाह किया और उनका एक पुत्र हुआ। जिसका नाम घटोत्कच्छ था. हिंदू संस्कृति के अनुसार, हिंदुओं का एक बड़ा हिस्सा पहाड़ी की तलहटी के पास भी रहता था। जिन्होंने इस पहाड़ी का नाम गिरिहिंडा रखा। यह पर्वत अब गिरिहिंडा पर्वत के नाम से जाना जाता है। पर्वत पर भगवान शिव शंकर और कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां आज भी मौजूद हैं। पहाड़ आज भी आधुनिक रंग बिखेर रहा है और हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। Sheikhpura City के नामकरण के संबंध में यह माना जाता है कि एक महान सूफी संत हजरत मखदूम शाह शोभ शेख रहमतुल्लाह अलेह ने यहां Sheikhpura City की स्थापना की थी। शेख साहब ने शहर बसाने के लिए पहाड़ों और जंगलों के कुछ हिस्सों को काटा और खुद यहीं बस गये। इसीलिए शेख साहब के नाम पर शहर का नाम Sheikhpura रखा गया। आज भी शहर में अच्छी खासी मुस्लिम आबादी है और कई गांवों में मुस्लिम राजा, महाराजा और जमींदार भी थे। उन्हीं में से एक थीं Hussainabad नवाब खानदान से ही फिल्म जगत की मशहूर अभिनेत्री कुमकुम भी आती थीं। लेकिन फिलहाल Hussainabad नवाब के परिवार वालों की हालत ठीक नहीं है.
Barbigha-Sheikhpura मार्ग पर एक गांव अब Faridpur के नाम से जाना जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इसका अपना इतिहास है कि यहां गांव की स्थापना शेरशाह उर्फ फरीद खान के नाम से हुई थी। कुछ ऐसी ही कहानी Barbigha प्रखंड के रमजानपुर गांव की बताई जाती है. इस गांव के बगल में Samus गांव है. जहां पर ब्राह्मणों और राजपूतों की अच्छी जन-संख्य है. कहा जाता है कि Samus गांव में बड़ी संख्या में मंदिर थे। जिसे मुगल शासन में तोड़ दिया गया और उसके बगल में रमज़ानपुर नामक गाँव बसाया गया। फिलहाल खुदाई के दौरान Samus गांव के तालाबों और पोखरों से लगातार हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां निकल रही हैं. परिणामस्वरूप, Samus गांव अब विष्णुधाम के नाम से जाना जाता है। अभी करीब तीन महीने पहले ही गांव में एक तालाब की खुदाई के दौरान देवी लक्ष्मी की एक मूर्ति भी मिली थी.
Sheikhpura के बारे में यह भी कहा जाता है कि पल्लव शासन के दौरान Sheikhpura मुख्य प्रशासनिक केंद्रों में से एक था। यह भी माना जाता है कि प्रसिद्ध अफगान शासक शेरशाह सूरी ने वर्तमान खंडपार में पीने और खाना पकाने के लिए पानी की कमी को देखते हुए दल कुआं नामक एक कुआं खुदवाया था। यह कुआँ वर्तमान में भी इसी नाम से जाना जाता है। इस कुएं के पानी से दाल बनाने पर यह तुरंत पक जाती है और खाने में भी बहुत स्वादिष्ट होती है. Sheikhpura को थाने का दर्जा मुगल काल में ही मिला था.
Sheikhpura को ब्रिटिश काल में बड़ी कोतवाली और आजादी के बाद ब्लॉक का दर्जा भी मिला। कांग्रेस विधायक Rajo Singh के प्रयास से शेखपुरा को 14 April 1983 को अनुमंडल, फिर 31 July 1994 को जिला का दर्जा मिला. जिला बनने के बाद Sheikhpura का विकास भी लगातार जारी है. आज जिला अपनी 29वीं स्थापना वर्षगांठ मना रहा है। जिला बनने के बाद Sheikhpura, Barbigha, Shekhopursarai, Chewda, Ariyari और Ghatkosumbha प्रखंड के लोगों को काफी राहत मिल रही है. अन्यथा यहां के लोगों को किसी काम के लिए मुंगेर भागना पड़ता था।
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