शेखपुरा जिले में स्थित संजय गांधी स्मारक महिला महाविद्यालय से जुड़े एक महत्वपूर्ण विवाद में पटना उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है, जिसमें शेखपुरा के विधायक विजय सम्राट को कॉलेज के सचिव पद पर बने रहने का आदेश दिया गया है। उच्च न्यायालय का यह निर्णय पूर्व कुलपति द्वारा कथित रूप से नियमों का उल्लंघन कर गठित तदर्थ समिति को रद्द करता है। यह मामला शेखपुरा के लोगों और महाविद्यालय के कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण बन गया है, क्योंकि इस फैसले से महाविद्यालय का संचालन और विकास प्रभावित हुआ था।
शासी निकाय का गठन और विकास कार्य
संजय गांधी स्मारक महिला महाविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय के अंतर्गत एक संबद्ध इकाई है। इस महाविद्यालय के शासी निकाय का गठन 22 अक्टूबर 2022 को विधिवत रूप से हुआ था, जिसमें शेखपुरा के विधायक विजय सम्राट को सचिव नियुक्त किया गया था। विधायक विजय सम्राट ने अपने कार्यकाल के दौरान महाविद्यालय के विकास के लिए कई पहल कीं, जिनमें कॉलेज के जीर्ण-शीर्ण पड़े ढांचे का मरम्मत कार्य शामिल था। छत की मरम्मत और नवीनीकरण जैसे कार्य भी उन्हीं के प्रयासों से संभव हुए।
शेखपुरा के इस कॉलेज के छात्र-छात्राएं और स्थानीय जनता कॉलेज के विकास को लेकर विधायक की प्रशंसा करती आई है। शेखपुरा जैसे क्षेत्र में महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करने वाले इस कॉलेज का विकास कार्य विधायक के योगदान से काफी हद तक संभव हो पाया।
कुलपति द्वारा तदर्थ समिति का गठन
पूर्व कुलपति प्रो. श्यामा राय, जो अब अपने पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में शासी निकाय को भंग कर तदर्थ समिति का गठन कर दिया था। आरोप है कि कुलपति ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बिना उचित कारण और प्रक्रिया का पालन किए इस निर्णय को लागू किया। यह निर्णय एकाएक आने से स्थानीय जनता में नाराजगी बढ़ गई और महाविद्यालय के विकास कार्यों पर भी रोक लग गई।
विधायक का संयम और न्यायालय में अपील
विधायक विजय सम्राट ने इस मामले में संयम और धैर्य बनाए रखा। वे अदालत की प्रक्रिया पर भरोसा करते हुए पटना उच्च न्यायालय में अपील की। उन्होंने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई कि कुलपति द्वारा की गई यह कार्यवाही अवैध और नियमों के विरुद्ध है। उनका मानना था कि शासी निकाय को भंग कर तदर्थ समिति का गठन एक अमर्यादित कदम था, जो महाविद्यालय के हितों के खिलाफ है।
उच्च न्यायालय का फैसला
पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की बल बेंच ने 29 अक्टूबर 2024 को इस मामले में निर्णय सुनाया। मुख्य न्यायाधीश ने अपने फैसले में तदर्थ समिति को असंवैधानिक करार देते हुए शासी निकाय को बहाल करने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद विधायक विजय सम्राट को पुनः महाविद्यालय का सचिव बनाए रखा गया। न्यायालय का यह फैसला न केवल विधिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्यायपूर्णता की मिसाल भी है।
न्यायालय के फैसले से खुशी की लहर
इस निर्णय के बाद महाविद्यालय के सभी शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी और स्थानीय जनता में खुशी का माहौल है। सभी ने मुख्य न्यायाधीश के इस फैसले का स्वागत किया और खुशी जाहिर की। महाविद्यालय के विकास कार्यों को फिर से जारी करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है, और स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि कॉलेज अब पहले की तरह अपने विकास कार्यों को गति प्रदान कर सकेगा।